भारतीय स्वरों का परिचय
भारतीय शास्त्रीय संगीत में स्वर वह ध्वनि है, जिसे सुनने पर मन को मधुरता और शांति का अनुभव हो। यह ध्वनियाँ न तो बहुत ऊँची होती हैं और न ही बहुत नीची, बल्कि एक निश्चित ऊँचाई (Pitch) पर उत्पन्न होती हैं। स्वरों की इस श्रृंखला को सप्तक कहते हैं। प्रत्येक सप्तक में सात मुख्य स्वर होते हैं — स, रे, ग, म, प, ध, नी — जिन्हें शुद्ध स्वर कहा जाता है।
इन सात शुद्ध स्वरों के अलावा पाँच स्वर ऐसे होते हैं जिनकी ऊँचाई (Pitch) में थोड़ा परिवर्तन किया गया होता है। इन्हें विकृत स्वर कहते हैं। विकृत स्वरों के दो प्रकार होते हैं:
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कोमल स्वर — यह शुद्ध स्वर से आधा स्वर (सेमीटोन) नीचे गाए या बजाए जाते हैं।
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तीव्र स्वर — यह शुद्ध स्वर से आधा स्वर ऊपर गाए या बजाए जाते हैं।
शुद्ध स्वर की विस्तृत परिभाषा
शुद्ध स्वर वह स्वर होता है जिसकी ऊँचाई प्राकृतिक रूप से वैसी ही होती है जैसे वह मूल रूप में है, उस पर कोई चढ़ाव (ऊपर उठाना) या उतार (नीचे करना) नहीं किया गया होता। उदाहरण के लिए — “स” (सा) हमेशा शुद्ध ही होता है, यह कभी कोमल या तीव्र नहीं होता।
शुद्ध स्वरों के नाम हैं:
स, रे, ग, म, प, ध, नी
इनमें “सा” और “पा” को अचल स्वर कहा जाता है, क्योंकि इनकी स्थिति कभी नहीं बदलती। बाकी पाँच शुद्ध स्वर (रे, ग, म, ध, नी) आवश्यकता पड़ने पर विकृत रूप में भी लिए जा सकते हैं।
कोमल स्वर की विस्तृत परिभाषा
कोमल स्वर वह स्वर है जिसकी ऊँचाई उसके शुद्ध रूप से आधा स्वर (सेमीटोन) कम कर दी जाती है। जब हम किसी स्वर को थोड़ा नीचे गाते या बजाते हैं, तो वह कोमल कहलाता है।
कोमल स्वर की ध्वनि कोमल, मधुर और थोड़ी गंभीर (soft and flat) लगती है।
भारतीय संगीत में कोमल स्वर चार हैं:
कोमल रे, कोमल ग, कोमल ध, कोमल नी
ये अपने-अपने शुद्ध स्वर से आधा स्वर नीचे होते हैं।
तीव्र स्वर की विस्तृत परिभाषा
तीव्र स्वर वह स्वर है जिसकी ऊँचाई उसके शुद्ध रूप से आधा स्वर (सेमीटोन) बढ़ा दी जाती है। यह स्वर अधिक चमकीला, तेज और ऊँचा सुनाई देता है।
भारतीय संगीत में केवल मध्यम (म) का एक ही तीव्र रूप होता है, जिसे तीव्र मध्यम कहा जाता है। यह शुद्ध म से आधा स्वर ऊपर होता है।
भारतीय और पाश्चात्य (Western) स्वर तालिका
(यदि स = C माना जाए)
क्रम (सेमीटोन) | भारतीय स्वर | स्वर प्रकार | पश्चिमी नोट |
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0 | स (सा) | शुद्ध (अचल) | C |
1 | रे (r) | कोमल रे | C♯ / D♭ |
2 | रे (R) | शुद्ध रे | D |
3 | ग (g) | कोमल ग | D♯ / E♭ |
4 | ग (G) | शुद्ध ग | E |
5 | म (M) | शुद्ध म | F |
6 | म (M♯) | तीव्र म | F♯ / G♭ |
7 | प (पा) | शुद्ध (अचल) | G |
8 | ध (d) | कोमल ध | G♯ / A♭ |
9 | ध (D) | शुद्ध ध | A |
10 | नी (n) | कोमल नी | A♯ / B♭ |
11 | नी (N) | शुद्ध नी | B |
12 | स′ (सा) | उच्च सप्तक का स | C |
सारांश
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कुल 12 स्वर = 7 शुद्ध + 5 विकृत
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शुद्ध स्वर: स, रे, ग, म, प, ध, नी
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विकृत स्वर: कोमल रे, कोमल ग, कोमल ध, कोमल नी, तीव्र म
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सा और पा अचल स्वर हैं, बाकी चल स्वर हैं जिन्हें बदला जा सकता है।
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पश्चिमी संगीत में इन स्वरों को C से B तक के नोट्स और उनके शार्प/फ्लैट रूप में दर्शाया जाता है।