सप्तक क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूह को कहते हैं ।
सातों स्वरों के नाम क्रमश: सा, रे, ग, म, प, ध और नि हैं । इसमें प्रत्येक स्वर की आन्दोलन संख्या अपने पिछले स्वर से अधिक
होती है । दूसरे शब्दों में सा से जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाते हैं, स्वरों की आन्दोलन संख्या बढ़ती जाती है । रे की आन्दोलन संख्या सा से, ग की रे से,
म की ग से अधिक होती है । इसी प्रकार प, ध और नी की आन्दोलन संख्या अपने पिछले स्वरों से ज़्यादा होती है ।
प्रत्येक सप्तक में सा के बाद रे, ग, म, प, ध नि, स्वर होते हैं । नि के बाद पुन: सा आता है और इसी स्वर से दूसरा सप्तक
शुरू होता है ।
स से नि तक एक सप्तक होता है । नि के बाद दूसरा स, (तार सा) आता है और इसी
स्थान से दूसरा सप्तक भी शुरू होता है। दूसरा सप्तक भी नि तक रहता है और पुन: नि
के बाद अति तार सा आता है, जहाँ से तीसरा सप्तक
प्रारम्भ होता है । इसी प्रकार बहुत से सप्तक हो सकते हैं, किन्तु क्रियात्मक संगीत में अधिक से अधिक तीन सप्तक प्रयोग में लाये जाते
हैं । प्रत्येक सप्तक में 7 शुद्ध और 5 विकृत स्वर होते हैं । गायन-वादन में 3 सप्तक
से अधिक स्वरों की आवश्यकता नहीं होती । अधिकांश व्यक्तियों का कण्ठ तीन सप्तक से
भी कम होता है ।
सप्तक के प्रकार - मध्य सप्तक, मन्द्र सप्तक, तार सप्तक
मध्य सप्तक - > मध्य सप्तक, सप्तक का
एक प्रकार है। जिस प्रकार में हम साधारणत: अधिक गाते-बजाते हैं, वह मध्य सप्तक कहलाता है। इस सप्तक के स्वरों का उपयोग अन्य सप्तक के
स्वरों की अपेक्षा अधिक होता है। यह सप्तक दोनों सप्तकों के मध्य में होता है, इसलिए इसे मध्य सप्तक कहा गया है। मध्य सप्तक के स्वर अपने पिछले सप्तक
अर्थात् मन्द्र सप्तक के स्वरों से दुगुनी ऊँचाई पर और अगले सप्तक अर्थात् तार
सप्तक के स्वरों के आधे होते हैं। इसमें 7 शुद्ध
और 5 विकृत कुल 12 स्वर होते हैं।
मन्द्र सप्तक - > मध्य सप्तक के पहले का सप्तक मन्द्र सप्तक कहलाता है।
यह सप्तक मध्य सप्तक का आधा होता है, अर्थात् मन्द्र
सप्तक के प्रत्येक स्वर की आन्दोलन संख्या मध्य सप्तक के उसी स्वर के आन्दोलन
संख्या की आधी होगी। उदाहरणार्थ, अगर मध्य सप्तक के प
की आन्दोलन संख्या 360 है तो मन्द्र सप्तक के प की 360 की आधी 180 होगी, इसी प्रकार यदि मध्य सप्तक के म की आन्दोलन संख्या 320 है तो मन्द्र सप्तक के म की आन्दोलन संख्या 320 की आधी 160 होगी। मन्द्र सप्तक में भी 7 शुद्ध और 5 विकृत कुल 12 स्वर होते हैं।
तार सप्तक - > तार सप्तक सप्तक का एक प्रकार है। मध्य सप्तक के बाद
का तार सप्तक कहलाता है। यह सप्तक मध्य सप्तक का दुगुना ऊँचा होता है। दूसरे
शब्दों में तार सप्तक के प्रत्येक स्वर में मध्य सप्तक के उसी स्वर से दुगुनी
आन्दोलन रहती है, उदाहरणार्थ अगर मध्य सप्तक के रे की
आन्दोलन संख्या 270 है तो तार रे की आन्दोलन
संख्या 270 की दुगुनी 540 होगी। इसमें भी 7 शुद्ध स्वर और 5 विकृत स्वर कुल 12 स्वर होते हैं।