ताल |
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रूपक |
मात्राएँ |
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7 |
विभाग |
- |
3 |
खाली |
- |
पहली मात्रा पर |
ताली |
- |
चौथी और छठी मात्रा पर |
यह सात मात्राओं की ताल है | इसके 3 विभाग है | पहले विभाग में 3 मात्राएँ एवं दुसरे और तीसरे विभाग में 2-2 मात्राएँ है | इसकी ताली चौथी और छठी मात्राओं पर है और खाली सम अर्थात पहली मात्रा पर है | प्रचलित तालों में यह एकमात्र ताल है जिसके सम पर खाली है | इस ताल का प्रयोग मध्य एवं द्रुत लय के ख्यालों के गायन, गतों के वादन के साथ होता है | सुगम संगीत में गीत, ग़ज़ल, भजन इत्यादि के साथ भी इस ताल का प्रयोग होता है | तबला के एकल वादन में यह एक प्रचलित ताल है जिसमें पेशकर, कायदों, रेलों, गतों, रौ, परण और चक्रदार इत्यादि रचनाओं की प्रस्तुति की जाती है | इस ताल के बोल इस प्रकार है --
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रूपक ताल (एकगुण)
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चिन्ह
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0
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2
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3
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मात्रा
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1
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2
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3
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4
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5
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6
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7
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बोल
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तिं
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तिं
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ना
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धिं
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ना
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धिं
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ना
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दुगुन
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बोल
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तिंतिं
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नाधिं
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नाधिं
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नातिं
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तिंना
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धिंना
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धिंना
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