Translate

राग बिहाग

यह राग बिलावल थाट के अन्तर्गत आता है । इसमें सभी स्वर शुद्ध लगते है । इस राग में कुछ संगीतकार तीव्र मध्यम का प्रयोग विवादी स्वर के रूप में तथा अल्प रूप में करते है जो राग की रंजकता में वृद्धि करता है । इसकी जाति औढ़व - सपूर्ण है । इसका वादी स्वर गंधार तथा संवादी स्वर निषाद है । यह पूर्वांगवादी राग है । गायन - वादन समय रात्रि का दूसरा प्रहर है । इसके सम प्रकृतिक राग बिलावल तथा शंकरा है । इसका ग्रह स्वर नी है तथा राग का आरम्भ नी से किया जाता है । इसका राग का विश्रान्ति स्थान है । राग में ग म नी ध प स्वर संगति आनन्ददायक है । अतः प्रायः इसका प्रयोग किया जाता है,

        आरोह :- नी़ स , ग म, ग म प नी सं
        अवरोह :- सं नी ध प, , रे,
        पकड़ :- नी़ स, ग म ग, (प) ग म प ग म ग

राग बिहाग          रज़ाखानी गत               तीनताल             द्रुतलय

1
2
3
4
|
5
6
7
8
|
9
10
11
12
|
13
14
15
16
x



|
2



|
0



|
3







|

स्थाई

|
पप
मे
|
-
-




|




|
दा
दिर
दा
रा
|
-
दा
-
रा
-
-
|
रेरे
नी़
|




|




दा
-
-
रा
|
दा
दिर
दा
रा
|




|








|

मंझार

|
प़
नीऩी़
-
|
गग
रे




|




|
दा
दिर
दा
-
|
दा
दिर
दा
रा
मेमे
गग
मम
|
ग-
गरे
-रे
|




|




दा
दिर
दिर
दिर
|
दा-
रदा
-रा
दा
|




|








|

अन्तरा

|
मम
|
पप
नी
नी




|




|
दा
दिर
दा
रा
|
दा
दिर
दा
रा
सं
-
सं
सं
|
सं
गंग
रें
सं
|




|




दा
-
दा
रा
|
दा
दिर
दा
रा
|




|








|




|
नीनी
सं
गं
|
रें
संसं
नी




|




|
दा
दिर
दा
-
|
दा
दिर
दा
रा
मेमे
गग
मम
|
ग-
गरे
-रे
|




|




दा
दिर
दिर
दिर
|
दा-
रदा
-रा
दा
|




|