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राग यमन


यह राग कल्याण थाट के अन्तर्गत आता है ।  इस राग में तीव्र मध्यम तथा बाकी सभी स्वर शुद्ध लगते है ।  इसकी जाति सपूर्ण - सपूर्ण है ।  इस राग के आरोह में पंचम का अल्प प्रयोग होता है ।  इसका वादी स्वर गंधार तथा संवादी स्वर निषाद है ।  यह पूर्वांगवादी राग है ।  इस राग का गाने बजाने का समय रात्रि का प्रथम प्रहर है ।  यह एक कल्याण का प्रकार है ।  जैसे शुद्ध कल्याण, यमन कल्याण, पूरिया कल्याण ।  इस राग में नी़ रे ग, नी़ रे स, म ध नी ध प, म ध प, प म ध प, रे - स - ।  इत्यादि स्वर संगतियां कल्याण की सूचक है ।


आरोह :- स, नी़ रे ग --- म - प - -, म ध प --- ग - म ध नी --- ध - नी रें सं --
अवरोह :- सं नी ध प ---, म ध प ---, म ग रे म -- ग, (प) रे --- नी़ रे स
पकड़ :- नी़ रे ग रे नी़ रे स , प म ग रे नी़ रे स


राग यमन                      मसीतखानी गत              तीनताल                        विलम्बित लय
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